मंगल दोष

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी भी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में से किस एक भाव में मौजूद हो तो जातक मांगलिक दोष से पीड़ित होता है।

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी किसी जातक का जन्म होता है उस समय क्षितिज में मौजूद जो राशि उदय होती है उससे जातक की कुंडली की लग्न निर्धारित हो जाती है। जातक की कुंडली में सभी 9 ग्रह अलग-अलग भावों में होते हैं, जिससे शुभ और अशुभ दोनों ही तरह योग बनते हैं। कुंडली में एक योग ऐसा बनता है जिसे मंगल दोष के नाम से जाना जाता है। मंगल दोष को मांगलिक दोष भी कहते हैं। मंगल ग्रह के कारण यह मांगलिक दोष पैदा होता है। जातक की कुंडली में अगर मंगल दोष है तो उसके विवाह में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मांगलिक होने पर वैवाहिक जीवन में तरह-तरह की दिक्कतें आती हैं। 

मांगलिक दोष कैसे बनता है। 
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी भी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में से किस एक भाव में मौजूद हो तो जातक मांगलिक दोष से पीड़ित होता है। कुंडली में मंगल दोष होने पर व्यक्ति के विवाह में कई तरह की परेशानियां आती हैं। ज्योतिष में मंगल दोष को अशुभ माना गया है। अगर किसी लड़का या लड़की की कुंडली में मंगल दोष होता है तो उसके विवाह में कई तरह की परेशानियां आती हैं। कुंडली में मंगल दोष होने पर जीवनसाथी के साथ अच्छा जीवन नहीं बीतता है। इस कारण से किसी लड़की या लड़की के विवाह के समय मांगलिक दोष को ज्यादा महत्व दिया जाता है। किसी भी ज्योतिषी को कुंडली मिलान करते समय बहुत ही सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए। 

मांगलिक दोष के प्रकार

चंद्र मांगलिक दोष
चंद्र मांगलिक दोष किसी जातक की कुंडली में तब बनता है जब चंद्रमा से मंगल पहले, दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, आठवें और बाहरवें भाव में मौजूद होता है। इस मंगल दोष के कारण जीवनसाथी के बीच कई तरह के संघर्ष देखने को मिलते हैं। 

आंशिक मांगलिक दोष
आंशिक मांगलिक दोष जैसे कि इसके नाम से ही स्पष्ट है यह एक हल्का मांगलिक दोष होता है। आंशिक मांगलिक दोष तब बनता है जब मंगल कुंडली के पहले, दूसरे, चौथे, सातवें और बारहवें भाव में मौजूद होता है। इसमें जातक पर ज्यादा मांगलिक दोष का प्रभाव नहीं रहता है। इस दोष को कुछ उपाय के माध्यम से कम किया जा सकता है और जातक की 28 आयु तक होने पर यह दोष खत्म हो जाता है। 

मंगल दोष को खत्म करने के उपाय
अगर किसी व्यक्ति का विवाह अनजाने में किसी मंगलदोष से युक्त व्यक्ति से हो जाता है तो ऐसे व्यक्ति को इस दोष को खत्म करने के लिए वट सावित्री और मंगला गौरी का व्रत रखना चाहिए। इस व्रत का अनुष्ठान करना बहुत ही फायदा पहुंचाने वाला होता है।अगर किसी युवती की कुंडली में मंगलदोष पाया जाता है तो मंगलदोष के प्रभाव को कम करने के लिए विवाह से पहले गुप्त रूप से पीपल के पेड़ के विवाह कर लेना चाहिए। ऐसे में इस उपाय के बाद अगर युवती का विवाह मंगलदोष रहित वर से शादी करती है तो उसे किसी भी प्रकार का दोष नहीं लगता है।

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