
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक मनुष्य की कुंडली के आधार पर ही उसका भाग्य तय होता है। कुंडली में बन रहे कई ऐसे योग हैं जो व्यक्ति के विवाह से लेकर मृत्यु तक के योग बनाता है। इन्हीं योग में से एक है कालसर्प योग। कालसर्प योग का कुप्रभाव पड़ने से व्यक्ति को आर्थिक समस्या, दाम्पत्य जीवन में अनबन, यहां तक अकाल मृत्यु का भय भी होता है। इस योग के कारण जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ता है। कुंडली में कालसर्प योग के प्रभाव से व्यक्ति को मानसिक कष्ट सहना पड़ता है। इसके साथ ही कई तरह की परेशानियां जातकों को सहना पड़ता है। यह योग हमेशा कष्ट कारक नहीं होते, कभी-कभी यह अनुकूल फल देते हैं और व्यक्ति को विश्वस्तर पर प्रसिद्ध बनाते हैं। आइए जानते हैं कालसर्प योग क्या है और इसके कितने प्रकार हैं और इनके दुष्प्रभाव से बचने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।
कालसर्प योग है क्या?
फलित ज्योतिष में कहा गया है कि राहु का प्रभाव शनि के जैसा और केतु का प्रभाव मंगल के जैसा होता है। राहु व केतु छाया ग्रह हैं और ऐसा माना जाता है कि वे जिस भाव में होते हैं अथवा जहां दृष्टि डालते हैं उस राशि एवं भाव में स्थित ग्रह को अपनी विचार शक्ति से प्रभावित कर क्रिया करने को प्रेरित करता है। केतु जिस भाव में बैठता है उस राशि, उसके भावेश, केतु पर दृष्टिपात करने वाले ग्रह के प्रभाव में क्रिया करता है। जब कुंडली में राहु और केतु के मध्य में सारे ग्रह आ जाते हैं तब कुंडली में कालसर्प योग बनता है। कालसर्प योग दो शब्दों को मिलाकर बना है। इसमें पहला शब्द है काल, यानि मृत्यु और दूसरा शब्द है – सर्प, जिसका तात्पर्य सांप से है। कुंडली में कालसर्प योग के प्रभाव से व्यक्ति को मानसिक कष्ट सहना पड़ता है। इसके साथ ही कई तरह की परेशानियां जातकों को सहना पड़ता है। यह योग हमेशा कष्ट कारक नहीं होते, कभी-कभी यह अनुकूल फल देते हैं और व्यक्ति को विश्वस्तर पर प्रसिद्ध बनाते हैं।
कालसर्प योग के प्रकार
जन्म कुंडली में 12 प्रकार के कालसर्प योग कहे गए हैं-
अनंत कालसर्प योग: अनंत कालसर्प योग प्रथम भाव से सप्तम भाव के बीच बनता है। जब राहु प्रथम भाव में और केतु सप्तम भाव में स्थित होते हैं और दूसरे ग्रह द्वितीय भाव से लेकर सप्तम भाव तक स्थित रहते हैं तब अनंत कालसर्प योग का निर्माण होता है।
अनंत कालसर्प योग का प्रभाव
इस योग के प्रभाव के कारण जातक के जीवन में अस्थितरता उत्पन्न होती है, मानसिक अशान्ति रहती है और काफी संघर्ष का सामना करना पड़ता है।
शांति के उपाय
इस योग की शांति के लिए बहते जल में चांदी के नाग नागिन का जोड़ा प्रवाहित करें।
कुलिक कालसर्प योग-
जब कुंडली के द्वितीय भाव में राहु और अष्टम भाव में केतु स्थित हो अन्य सभी ग्रह इन दोनों के बीच में स्थित हो तब कुलिक कालसर्प योग का निर्माण होता है।
कुलिक कालसर्प योग का प्रभाव
कुलिक कालसर्प योग के कारण जातक कटु भाषी होता है कहीं ना कहीं उसे पारिवारिक कलह का सामना करना पड़ता है किंतु राहु बलवान हो तो आकस्मिक धन प्राप्ति के योग भी बनते हैं।
शांति के उपाय
हनुमान जी के मंदिर में जाकर उनके समक्ष मंगलवार और शनिवार को तिल के तेल का दिया जलाएं।
वासुकी कालसर्प योग
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जब राहु पराक्रम स्थान यानि तृतीय भाव में स्थित होता है और केतु भाग्य स्थान यानि नवां भाव में स्थित होता और अन्य सभी ग्रह इन दोनों के बीच आते हैं तो वासुकी कालसर्प योग का निर्माण होता है।
वासुकी कालसर्प योग के प्रभाव
इसके प्रभाव स्वरूप भाई बहनों से मनमुटाव होता है। हालांकि साहस पराक्रम में वृद्धि होती है लेकिन कार्य व्यापार में सफलता के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
शांति के उपाय
वासुकि कालसर्प दोष निवारण हेतु घर में शांति पूजा भी करवा सकते हैं
शंखपाल कालसर्प योग
जब राहु चतुर्थ भाव में और केतु दशम भाव में स्थित हो और अन्य सभी ग्रह इसके मध्य हों तब शंखपाल कालसर्प योग निर्मित होता है।
शंखपाल कालसर्प योग का प्रभाव
इसके प्रभाव से मानसिक अशांति एवं मित्रों तथा संबंधियों से धोखा मिलने का योग रहता है। शिक्षा प्रतियोगिता में कठोर संघर्ष करना पड़ता है।
शांति के उपाय
शंखपाल कालसर्प योग की शांति के लिए शुक्रवार को पानी वाले नारियल फल को किसी नदी/धारा में प्रवाहित करें।
पद्म कालसर्प योग
जब पंचम भाव में राहु और एकादश भाव में केतु होता है और उसके मध्य सभी अन्य ग्रह होते हैं तब पद्म कालसर्प योग का निर्माण होता है।
पद्म कालसर्प योग का प्रभाव
इसके कारण संतान सुख में कमी और मित्रता संबंधियों से विश्वासघात की संभावना रहती है। जातक को अच्छी शिक्षा के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है।
शांति के उपाय
अपने घर के पूजा स्थल में एक मोर पंख हमेशा रखें।
महापद्म कालसर्प योग
जब षष्ठम भाव में राहु और द्वादश भाव में केतु स्थित हो और मध्य में अन्य सभी ग्रह स्थित हों तो महापद्म कालसर्प योग का निर्माण होता है।
महापद्म कालसर्प योग का प्रभाव
इस योग के प्रभाव के कारण जातक ऋण, रोग और शत्रुओं से परेशान रहता है। कार्यक्षेत्र में शत्रु हमेशा षड्यंत्र करने में लगे रहते हैं।
शांति के उपाय
महापद्म कालसर्प योग कि शांति के लिए चांदी से बनी सर्प के आकार की अंगूठी धारण करें।
तक्षक कालसर्प योग
जब राहु सप्तम और केतु प्रथम भाव में स्थित हो अऔर उसके मध्य अन्य ग्रह स्थित हों तब तक्षक कालसर्प योग का निर्माण होता है।
तक्षक कालसर्प योग का प्रभाव
इस योग के प्रभाव स्वरूप जातक का दांपत्य जीवन कष्ट कारक करता है काफी परिश्रम के बाद सफलता मिलती है। स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
शांति के उपाय
नियमित रूप से महामृत्युंजय जाप करें।
कर्कोटक कालसर्प योग
जब अष्टम भाव में राहु और द्वितुया भाव में केतु स्थित हो और अन्य ग्रह इनके बीच स्थित हों तब कर्कोटक कालसर्प योग का निर्माण होता है । \
कर्कोटक कालसर्प योग का प्रभाव
इस योग में जातक आर्थिक हानि अधिकारियों से मनमुटाव एवं प्रेत बाधाओं का सामना करता है। उसके अपने ही लोग हमेशा षड्यंत्र करने में लगे रहते हैं।
शांति के उपाय
प्रतिवर्ष महामृत्युंजय जाप और रुद्राभिषेक अवश्य करवाएं।
शंखनाद कालसर्प योग
जब राहु नवम भाव में केतु तृतीय भाव में स्थित हो और अन्य ग्रह इनके मध्य स्थित हों तब शंखनाद कालसर्प योग का निर्माण होता है।
शंखनाद कालसर्प योग का प्रभाव
इस योग के प्रभाव स्वरूप कार्य बाधा, अधिकारियों से मनमुटाव उत्पन्न होता है। कोर्ट कचहरी के मामलों में परेशान करता है।
शांति के उपाय
हर शनिवार पीपल को जल चढ़ाएं और पीपल की सात परिक्रमा करें।
घातक कालसर्प योग
घातक कालसर्प योग दशम से चतुर्थ भाव तक का योग बनाता है यानि जब राहु दशम भाव में और केतु चतुर्थ भाव में होता है और अन्य ग्रह इनके मध्य होते हैं।
घातक कालसर्प योग का प्रभाव
इस योग में माता पिता के स्वास्थ्य एवं रोजगार के क्षेत्र में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। नौकरी में स्थान परिवर्तन और अस्थिरता की अधिकता रहती है।
शांति के उपाय
नियमित रूप से भगवान शिव की आराधना करें और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
विषधर कालसर्प योग
एकादश भाव से लेकर पंचम भाव तक के मध्य राहु-केतु के मध्य स्थित होने वाले ग्रहों के द्वारा विषधर कालसर्प योग निर्मित होता है।
विषधर कालसर्प योग का प्रभाव
इस योग के कारण नेत्र पीड़ा, हृदय रोग होता है और बड़े भाइयों से संबंध की दृष्टि से भी यह शुभ नहीं है।
शांति के उपाय
राहु मन्त्र का जाप करके पक्षियों को जौ के दाने खिलाएं।
शेषनाग कालसर्प योग
जब राहु द्वादश भाव में और केतु छठे भाव में स्थित हो और अन्य सभी ग्रह इसके मध्य में स्थित हों तब शेषनाग कालसर्प योग बनता है।
शेषनाग कालसर्प योग का प्रभाव
इस योग के प्रभावस्वरूप जातक को बाएं नेत्र में विकार होता है और कोर्ट कचहरी के मामलों में चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसके प्रभाव स्वरूप आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ता है।
शांति के उपाय
पक्षियों को तीन महीने तक जौ से बनी रोटी खिलाएं।